फुटपाथ पर बेचने वालों को भी चाहिए सम्मान और अधिकार
नमस्कार साथियों,
जय हिंद, जय भारत।
आज मैं आप सबके सामने उन लोगों की आवाज़ बनकर खड़ा हूँ — जो न किसी ऑफिस में काम करते हैं, न किसी बड़ी दुकान के मालिक हैं, लेकिन हर सुबह मेहनत करके पेट पालते हैं, अपने बच्चों का भविष्य संवारते हैं — वो हैं हमारे स्ट्रीट वेंडर्स, फुटपाथ विक्रेता, ठेले वाले और छोटे-छोटे दुकानदार।
ये वो लोग हैं जो सुबह-सुबह अपनी रेहड़ी, ठेले, या फूटपाथ पर दुकान लगाकर ईमानदारी से रोज़ी कमाते हैं, लेकिन बदले में इन्हें क्या मिलता है?
समस्या:
- किसी दिन MMC (नगर निगम) की गाड़ी आती है, और इनके सामान को उठाकर फेंक दिया जाता है।
- हज़ारों रुपए का नुकसान होता है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं होता।
- इन लोगों के पास स्थायी लाइसेंस नहीं है, बिक्री के लिए तय जगह नहीं है, और सरकार की कोई सीधी योजना इन तक नहीं पहुँचती।
हमारी माँग:
हम सरकार और प्रशासन से स्पष्ट माँग करते हैं कि:
- हर स्ट्रीट वेंडर को स्थायी लाइसेंस (परमिट) दिया जाए, ताकि वह डर के साए में नहीं, बल्कि आत्मसम्मान के साथ अपना रोजगार कर सके।
- फुटपाथ और सार्वजनिक स्थानों पर बेचने के लिए एक नियत और सुरक्षित स्थान तय किया जाए।
- नगर निगम को आदेशित किया जाए कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था के किसी का रोजगार न छीना जाए।
- स्थानीय निकायों के जरिए इन स्ट्रीट वेंडर्स को ट्रेनिंग, लोन और सुविधा दी जाए, ताकि वे अपने कारोबार को और बेहतर बना सकें।
क्यों ज़रूरी है ये कदम?
- स्ट्रीट वेंडर्स गरीबी के खिलाफ सबसे बड़े योद्धा हैं।
- ये किसी पर बोझ नहीं बनते — खुद मेहनत करते हैं, टैक्स देते हैं, और शहर की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
- अगर इन्हें सुरक्षा, सम्मान और सुविधा मिलेगी, तो देश की नींव और मजबूत होगी।
निष्कर्ष:
साथियों,
गरीब होना कोई अपराध नहीं है।
फुटपाथ पर बैठकर मेहनत करना शर्म की बात नहीं, गर्व की बात है।
हमारी पार्टी यह संकल्प लेती है कि हम हर स्ट्रीट वेंडर को स्थायी पहचान, लाइसेंस और सुरक्षित स्थान दिलाकर रहेंगे।
हम चाहते हैं ऐसा भारत, जहाँ हर गरीब को काम करने का अधिकार मिले, और हर मेहनती को सम्मान मिले।
जय गरीब, जय मेहनत, जय भारत।
धन्यवाद।