growth salary income of home maid’s

घरेलू महिला कामगारों को चाहिए सम्मानजनक वेतन और जीवन

नमस्कार साथियों,
जय हिंद, जय भारत।

आज मैं आपसे एक ऐसी महिला वर्ग की बात करने आया हूँ, जो हर दिन हमारे घरों को संभालती हैं, लेकिन खुद का जीवन संभाल नहीं पातीं।
मैं बात कर रहा हूँ हमारी देश की घरेलू कामकाजी महिलाओं की — जिन्हें हम “होम मेड” या नौकरानी कहते हैं, लेकिन असल में वो हमारे घर की रीढ़ होती हैं।

इनका जीवन:

  • ये महिलाएं सुबह 5-6 बजे उठकर अपने घर से निकलती हैं, बच्चों को किसी तरह छोड़कर।
  • किसी फ्लैट में झाड़ू-पोंछा, किसी बंगले में बर्तन, किसी घर में कपड़े — 10-12 घंटे, कई बार 15 घंटे तक लगातार काम।
  • लेकिन बदले में उन्हें क्या मिलता है? न्यूनतम वेतन, कोई सुरक्षा नहीं, कोई छुट्टी नहीं, और ना ही सम्मान।
  • वे दूसरों के बच्चों का ख्याल रखती हैं, लेकिन अपने बच्चों को वक्त नहीं दे पातीं।
  • दूसरों के घर साफ करती हैं, लेकिन खुद के लिए एक अच्छी ज़िंदगी नहीं बना पातीं।

हमारी माँग:

हम सरकार और समाज से माँग करते हैं:

  1. घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन तय किया जाए, जो उनके काम के घंटे और मेहनत के अनुसार हो
  2. काम के घंटे निर्धारित किए जाएँ — अधिकतम 8 घंटे, ताकि वे भी अपनी सेहत और परिवार पर ध्यान दे सकें।
  3. घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा मिले — जैसे कि स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व अवकाश, और पीएफ जैसी सुविधाएँ।
  4. उनके लिए पहचान पत्र और रजिस्ट्रेशन सिस्टम शुरू हो, ताकि उनका शोषण ना हो और उन्हें कानूनी हक मिल सके।

क्यों जरूरी है ये बदलाव?

  • क्योंकि इनका काम कोई छोटा काम नहीं है — ये हमारे जीवन को आसान बनाती हैं, हमारे बच्चों और घरों को संभालती हैं।
  • क्योंकि इनकी मेहनत का कोई टाइम नहीं होता, लेकिन बदले में इन्हें कभी वक्त, कभी इज़्ज़त नहीं मिलती।
  • अगर हम सच में समाज में समानता लाना चाहते हैं, तो घर में काम करने वाली महिला की आवाज़ को भी उठाना होगा।

निष्कर्ष:

साथियों,
घर चलाने वाली मां अगर दूसरों के घरों में काम कर रही है, तो उसका त्याग छोटा नहीं है।
अब समय आ गया है कि हम सिर्फ अपने घर को साफ़ ना करें, बल्कि उस महिला के जीवन को भी उज्जवल बनाएं जो हमारे घर को संवारती है।

हमारी पार्टी यह संकल्प लेती है कि हम हर घरेलू महिला कामगार को उसका सम्मान, उसका अधिकार और उसकी सही मजदूरी दिलवाकर रहेंगे।

क्योंकि हर हाथ की मेहनत की एक कीमत होती है — और हर महिला को उसका हक़ मिलना चाहिए।

धन्यवाद।
जय नारी, जय मेहनत, जय भारत।

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