अब चाहिए किराया मीटर समय के हिसाब से – क्योंकि ट्रैफिक में फँसा है हमारा भविष्य
नमस्कार साथियों,
जय हिंद, जय भारत।
आज मैं एक ऐसे मुद्दे पर बोलने आया हूँ, जो सिर्फ हमारे व्यवसाय से जुड़ा नहीं है, बल्कि हमारी रोज़ की मेहनत, हमारी ईमानदारी और हमारे हक़ से जुड़ा है।
मैं बात कर रहा हूँ **टूर एंड ट्रैवेल्स कार मालिकों की उस माँग की, जिसमें हम चाहते हैं कि अब किराया “किलोमीटर” नहीं, बल्कि “समय” यानी “प्रति घंटे” के हिसाब से तय किया जाए।
हमारी समस्या क्या है?
- शहरों में जनसंख्या बढ़ रही है, ट्रैफिक हर दिन बढ़ता जा रहा है।
- 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में अब 2 से 3 घंटे तक लग जाते हैं, क्योंकि सड़कों पर जाम लगा रहता है।
- हमारी गाड़ियाँ जगह पर खड़ी-खड़ी ईंधन जला रही हैं, समय बर्बाद कर रही हैं, लेकिन किराया सिर्फ किलोमीटर के हिसाब से गिना जा रहा है।
- न तो ईंधन का खर्च निकलता है, न ड्राइवर की मेहनत का मोल मिलता है।
- नतीजा ये कि हम लगातार घाटे में जा रहे हैं, और ग्राहक भी हमारी मजबूरी नहीं समझ पाते।
हमारी माँग क्या है?
हम सरकार और परिवहन विभाग से साफ़-साफ़ माँग करते हैं:
- टूर एंड ट्रैवेल्स कारों के लिए “प्रति घंटे का किराया मीटर” अनिवार्य किया जाए।
- यदि ट्रैफिक में गाड़ी 2 घंटे फँसी हो और सिर्फ 5 किलोमीटर चली हो, तो भी चालक और मालिक को उस समय का पूरा भुगतान मिलना चाहिए।
- ईंधन मूल्य, ट्रैफिक स्थिति और समय की बर्बादी को ध्यान में रखते हुए नया टैरिफ स्ट्रक्चर लागू किया जाए।
- हर राज्य और शहर में एक समान नीति हो, जिससे ट्रैवेल्स उद्योग को स्थिरता और सम्मान मिले।
क्यों ज़रूरी है यह बदलाव?
- क्योंकि हमारी गाड़ियाँ ट्रैफिक में फँसी रहती हैं, लेकिन हमारा मीटर नहीं चलता।
- क्योंकि हम ग्राहक को समय पर पहुँचाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ट्रैफिक हमें रोक देता है।
- क्योंकि हम ईमानदारी से काम करते हैं, लेकिन सिस्टम हमें घाटे में डाल देता है।
निष्कर्ष:
साथियों,
अगर हमें आगे बढ़ना है, अगर हमें अपने परिवारों का पालन-पोषण करना है, तो हमें ऐसा सिस्टम चाहिए जो हमारी मेहनत का सही मूल्य दे।
हम सरकार से अपील करते हैं कि कारों का किराया अब किलोमीटर नहीं, बल्कि “प्रति घंटा” के हिसाब से तय किया जाए।
ईंधन की बर्बादी, समय की बर्बादी और मेहनत का नुकसान – अब और नहीं।
अब हमें चाहिए इंसाफ – एक ऐसा किराया मीटर जो समय को भी माने।
धन्यवाद।
जय चालक, जय परिश्रम, जय भारत।